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अलग रह रही जेठानी Joint Family का हिस्सा नहीं, DPO बरेली का 13 जून का आदेश रद

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देवरानी की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद

अलग रह रही जेठानी Joint Family का हिस्सा नहीं

शासनादेश के तहत जेठानी को एक ही परिवार (Family)  का हिस्सा तभी माना जाएगा जब दोनों भाई एक ही घर और एक ही रसोई के साथ रहते हों. दोनों का घर व रसोई अलग हो तो एक परिवार (Family) का हिस्सा नहीं होगी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति निरस्त किए जाने के आदेश को इस कमेंट के साथ रद कर दिया है. कोर्ट ने सेवा जनित सभी परिलाभो के साथ बहाली का निर्देश दिया है.

जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने कुमारी सोनम नामक महिला की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया, जिसकी नियुक्ति जिला कार्यक्रम अधिकारी, बरेली ने 13 जून, 2025 को रद्द कर दी थी. नियुक्ति रद्द करने का आधार यह था कि उसकी जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में कार्यरत थीं.

याची सोनम की नियुक्ति जिला कार्यक्रम अधिकारी, बरेली ने 13 जून, 2025 को रद कर दी थी. इसका आधार यह दिया था कि जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनबाड़ी सहायिका थी. शासनादेश के अनुसार एक परिवार (Family) के दो सदस्य आंगनवाड़ी केन्द्र में नौकरी नहीं कर सकते.

पति के परिवार (Family) की परिभाषा में नहीं आती

याची ने तर्क दिया कि उसकी जेठानी अलग घर में रहती है इसलिए, याची के पति के परिवार (Family) की परिभाषा में नहीं आती, भले ही वह अपने ससुर के परिवार से संबंधित हो. कहा कि किसी भी तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयन और नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए जेठानी को परिवार (Family) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जा सकता.

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साथ ही आदेश  याची को कोई नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया था. कोर्ट ने कहा, …बहू (जेठानी) परिवार(Family)  की सदस्य नहीं होगी. बहू (जेठानी) को परिवार (Family) का सदस्य माना जा सकता है बशर्ते दोनों भाई एक साथ रहते हों और उनका रसोई और घर एक ही हो.”

कोर्ट ने इस आधार पर आदेश को अस्थिर पाया कि यह याचिकाकर्ता को कोई नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया था, जबकि इसके प्रतिकूल नागरिक परिणाम हो सकते थे. जिला कार्यक्रम अधिकारी को याचिकाकर्ता को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में पुनः नियुक्त करने का निर्देश दिया गया ताकि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके. 

संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर वर्तमान याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता ने जिला कार्यक्रम अधिकारी, बरेली द्वारा पारित दिनांक 13.6.2025 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था. याचिकाकर्ता की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नियुक्ति को मुख्यतः इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि याचिकाकर्ता की जेठानी भी उसी ब्लॉक में आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में कार्यरत थीं और सरकारी आदेश एक ही परिवार (Family) की दो महिलाओं को एक ही केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में तैनात करने की अनुमति नहीं देता है.

21.5.2023 के सरकारी आदेश के तहत लगाई गई रोक के कानूनी पहलू पर, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उक्त आदेश के प्रासंगिक खंड 12 (iv) में केवल इतना प्रावधान है कि एक ही परिवार (Family) की दो महिलाओं को एक ही केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा.

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