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दिव्यांग का मकान demolition की डीएम जांच कर रिपोर्ट दें, सुनवाई 16 सितंबर को

दिव्यांग का मकान demolition की डीएम जांच कर रिपोर्ट दें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांदा के बबेरू गांव में दिव्यांग राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय के गिराए गए मकान (demolition) के मामले में सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने डीएम बांदा को जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील कुमार पटेल की इस मामले में भूमिका की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी. यह आदेश जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने दिव्यांग राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय की याचिका पर अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है.

याचिका में याची ने तहसील प्रशासन, कृषक सेवा समिति और जिला पंचायत अध्यक्ष को पक्षकार बनाया गया है. याची की ओर से कहा गया कि वह भवन (demolition) में 26 साल से परिवार सहित रह रहा था. बिना किसी आदेश के  अपर जिला सहकारी सेवा समिति के सचिव बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंचे. उसके भवन को गिरवाने (demolition) लगे. परिवार के सदस्यों ने विरोध जताया तो पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

इसके बाद एसडीएम रजत वर्मा ने तहसीलदार गौरव कुमार को पुलिस बल के साथ मौके पर भेजकर भवन को जबरन जमींदोज (demolition) करा दिया. भारी बारिश में उनका परिवार खुले आसमान के नीचे आ गया. जबकि, इस भवन को लेकर एक सिविल मुकदमा जिला न्यायालय बांदा में लंबित हैं.

दिव्यांग का मकान demolition की डीएम जांच कर रिपोर्ट दें

यह मकान कृषक सेवा समिति की ओर से उसे रहने को दिया गया था. 1990 में कृषक सेवा समिति ने एक सिविल मुकदमा सिविल जज सीनियर डिविजन के यहां दाखिल किया था, जिसे सिविल जज ने इसे 5 दिसंबर 2016 में खारिज कर दिया. आठ साल बाद एक और सिविल मुकदमा दाखिल किया. उसमें मकान को जमींदोज (demolition) करने का कोई आदेश पारित नहीं है.

जिला सहकारी सेवा समिति और तहसील के अधिकारियों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के दबाव में आकर मकान को जमींदोज (demolition) कर दिया. कोर्ट ने तथ्यों को देखते हुए डीएम से जिला पंचायत अध्यक्ष की भूमिका की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.

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डीएम व तहसीलदार से कोर्ट ने पूछा सड़क को अतिक्रमण मुक्त (demolition) कराने के लिए क्या किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोरांव तहसील के गांव निंदूरा के प्लाट 4376 सडक के अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर जिलाधिकारी प्रयागराज व तहसीलदार सोरांव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और पूछा है कि संदर्भित प्लाट क्या सड़क के तौर पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज है,यदि हां तो क्या विपक्षी तीन या अन्य किसी ने अतिक्रमण किया है.

यदि हां तो अतिक्रमण हटाने के क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने विपक्षी संख्या तीन को भी नोटिस जारी की है.और याचिका पर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने मोहम्मद अख्तर की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता पंकज मिश्रा ने बहस की. इनका कहना है कि गांव की सड़क का विपक्षी तीन ने अतिक्रमण कर लिया है. शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिस पर यह याचिका दायर की गई है.

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