BNSS (482) में Anticipatory Bail पर अब प्रतिबंध नहीं
इलाहाबाद HC ने Anticipatory Bail पर स्पष्ट की स्थिति

उम्रकैद और हत्या के मामलों में Anticipatory Bail पर प्रतिबंध अब लागू नहीं रह गया है. एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पहली जुलाई, 2024 से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) लागू होने के साथ ही राज्य में Life imprisonment सजा वाले केसों और Murder जैसे Brutal crimes में Anticipatory Bail देने पर प्रतिबंध अब लागू नहीं है.
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बीएनएसएस की धारा 482, जो अब Anticipatory Bail को नियंत्रित करती है, धारा 438 (6) सीआरपीसी के तहत निहित किसी भी तरह के प्रतिबंध को बरकरार नहीं रखती. बीएनएसएस लागू होने के बाद सीआरपीसी निरस्त हो गई है. सीआरपीसी की धारा 438(6) के तहत प्रदेश में उम्रकैद अथवा हत्या वाले मामलों में Anticipatory Bail प्रतिबंधित की गई थी.
जस्टिस चंद्र धारी सिंह की पीठ ने अब्दुल हमीद की दूसरी Anticipatory Bail अर्जी को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया. अपीलार्थी 13 अगस्त 2011 को बरेली जिले के देवरानिया थाना क्षेत्र के ग्राम गिरधरपुर में हुई गुड्डू उर्फ जाकिर हुसैन की हत्या के मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया था, पुलिस ने जांच के दौरान उसके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया था.
अभियोजन कथानक के अनुसार अपीलार्थी और तीन अन्य जावेद अनवर, अनवर जमीर और बाबू ने लाइसेंसी पिस्तौल से लैस होकर कथित तौर पर जिला पंचायत चुनाव की प्रतिद्वंद्विता के कारण गोलीबारी की. इससे शिकायतकर्ता फिरोज के चाचा की मृत्यु हो गई. जांच के दौरान, आवेदक-अब्दुल हमीद के खिलाफ आरोप झूठे पाए गए.
घायलों ने बयान दिया वह मौके पर नही था इसलिए अपीलार्थी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया. बाद में, 2019 में गवाही के आधार पर, ट्रायल कोर्ट ने आवेदक को धारा 319 सीआरपीसी के तहत दाखिल अर्जी पर सम्मन जारी कर तलब किया. धारा 438(6) सीआरपीसी के तहत निहित प्रतिबंध के मद्देनजर अपीलार्थी की पहली Anticipatory Bail याचिका फरवरी 2023 में उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई थी.

कहाकि हत्या मामले में Anticipatory Bail नहीं दी जा सकती,अर्जी पोषणीय नहीं है. यह रोक उत्तर प्रदेश संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा लगाई गई थी. पहली जुलाई 2024 के बाद जब बीएनएसएस लागू हुआ तो आवेदक ने Anticipatory Bail की मांग करते हुए धारा 482 बीएनएसएस के तहत नया आवेदन दायर किया. सत्र न्यायालय ने मार्च 2025 में इसे खारिज कर दिया. इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई.
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क दिया गया कि धारा 438(6) सीआरपीसी के तहत वैधानिक रोक अब बीएनएसएस के तहत मौजूद नहीं है, और वर्तमान आवेदन पूरी तरह से अलग वैधानिक व्यवस्था के तहत दायर किया गया है. अदालत ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि एफआइआर में अपीलार्थी की भूमिका अस्पष्ट थी. पोस्टमार्टम में एक गोली लगने की बात है जो आरोपियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी के दावों का खंडन करती है.
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि अपीलार्थी 78 वर्ष का है और फेफड़े और उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित है तथा उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. घटना के मद्देनजर उसे बुलाने में भी काफी देरी हुई थी (केवल 2019 में बुलाया गया). यह तथ्य भी अपीलार्थी के पक्ष में था.

बहू की हत्या में ससुर की सशर्त जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या मामले में आरोपी शिवधानी सिंह की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा याची मृतका का ससुर है.और वह बेटे बहू से अलग रहता है. हत्या का कारण स्पष्ट नहीं. बिसरा सुरक्षित है. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने याची अधिवक्ता अक्षय रघुवंशी को सुनकर दिया है.
इनका कहना था कि याची को झूठा फंसाया गया है.एफ आई आर दर्ज करने में देरी का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है.याची ससुर है और वह अलग रहता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मृत्यु के कारण का पता नहीं चला.बिसरा सुरक्षित है.वह 17 दिसंबर 24 से जेल में बंद हैं. जमानत दी जाती है तो वह दुरुपयोग नहीं करेगा.
धोखाधड़ी के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के थाना नाई की मंडी में दर्ज धोखाधड़ी और शस्त्र अधिनियम से जुड़े एक मामले में आरोपी भूपेंद्र उर्फ भूपेंद्र सारस्वत और अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने दिया है.
याची पर पुलिस स्टेशन नाई की मंडी, जिला आगरा में 24 मई 2025 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/30 के तहत एफआईआर दर्ज कराया गया है. याचिका में एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तार पर रोक की मांग की गई है.
याची एक का कहना है कि उसके पास वैध लाइसेंस है. दूसरे याची का लाइसेंस वर्ष 2003 में जारी किया गया , जो वर्ष 2017 में खो गया था, जिसके बाद 4 जुलाई 2018 को एक डुप्लीकेट लाइसेंस जारी किया गया. यदि जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के रिकॉर्ड में लाइसेंस के नवीनीकरण को नहीं दर्शाया गया है, तो यह याचियों की जिम्मेदारी नहीं है.
दुष्कर्म व गैंगस्टर एक्ट में आरोपित पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह को सशर्त जमानत
गैंग्स्टर व दुष्कर्म मामले में आरोपित कन्नौज सदर के पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है. न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की एकलपीठ ने जमानत मंजूर की है.
बांदा जेल में बंद पूर्व ब्लाक प्रमुख को 11 अगस्त 2024 की रात पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अड़गापुर गांव निवासी कन्नौज सदर के पूर्व ब्लाक प्रमुख की गिरफ्तारी उसके डिग्री कालेज से 15 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म के आरोप में की गई थी. नवाब सिंह के पास पीड़िता को उसकी बुआ लेकर पहुंची थी.
पुलिस ने पीड़िता की बुआ को सहयोग करने और नवाब सिंह के भाई नीलू यादव को साक्ष्य मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. तीनों आरोपितों पर गैंग्सटर की कार्रवाई की गई. जिला एवं सत्र न्यायालय से नवाब सिंह की जमानत खारिज अर्जी कर दी गई थी. मार्च में हाई कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी गई. शासन के निर्देश पर नवाब सिंह का बांदा जेल और उसके भाई नीलू का कौशांबी जेल भेजा गया था.