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HC की मेन बिल्डिंग में होना चाहिए creche, 25 को सुनवाई

बाल देखभाल केंद्र  मामले में HC में हुई सुनवाई

HC की मेन बिल्डिंग में होना चाहिए creche, 25 को सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने crèche की सुविधा की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि creche (बाल देखभाल केंद्र) उच्च न्यायालय की मुख्य इमारत में होना चाहिए. चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने यह टिप्पणी एडवोकेट जाह्नवी सिंह की creche (बाल देखभाल केंद्र) को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की. हाईकोर्ट की ओर से  कहा गया कि क्रच नवनिर्मित भवन में खोला जाना प्रस्तावित है.

अधिवक्ता जाह्नवी सिंह ने जनहित याचिका में उच्च न्यायालय के कर्मचारियों एवं महिला अधिवक्ताओं के हित में क्रच सुविधा की मांग की है. तर्क दिया कि दिल्ली और देश के अन्य उच्च न्यायालयों में उच्च गुणवत्ता वाली क्रच सुविधाएं संचालित हो रही हैं. उसी तर्ज पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी creche (बाल देखभाल केंद्र) जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

पूर्व में कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन से इस विषय पर जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 25 जुलाई 2025 नियत करते हुए हाईकोर्ट के अधिवक्ता को इस मामले में ठोस जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

बीएचयू कार्यकारी परिषद गठन मामले में केंद्र सरकार को चेतावनी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में कार्यकारिणी परिषद के गठन में हो रही देरी पर मांगी जानकारी न देने पर केंद्र सरकार के शिक्षा विभाग को कड़ी चेतावनी दी है. बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग को 29 जुलाई तक मांगी गई जानकारी देने का अंतिम अवसर दिया है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस तिथि तक जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो न्यायालय ऐसा आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगा, जो हो सकता है कि सरकार के अनुकूल न हो. यह आदेश चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने हरिकेश बहादुर सिंह की जनहित याचिका पर दिया.

याचिकाकर्ता ने बीएचयू में कार्यकारणी परिषद के तत्काल गठन की मांग की है, क्योंकि वर्तमान में परिषद के अभाव में सभी निर्णय कुलपति द्वारा लिए जा रहे हैं, जो नियमानुसार उचित नहीं है. कार्यकारणी परिषद को विश्वविद्यालय के लिए नियम बनाने, वित्तीय और नियुक्ति संबंधी मामलों में निर्णय लेने का अधिकार होता है.

कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि पिछली कई सुनवाइयों से केंद्र सरकार के वकील द्वारा व्यक्तिगत कठिनाई के कारण समय मांगा जा रहा था. निर्धारित तिथि (16 अप्रैल, 2025) के ढाई महीने बाद भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. केंद्र के वकील ने कोर्ट को बताया कि संबंधित सचिव को सूचित करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है फिर से समय मांगा. अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी.

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