+91-9839333301

legalbulletin@legalbulletin.in

|

Rape पीड़िता को 28 सप्ताह की Unwanted pregnancy समाप्त करने की अनुमति

DM को आदेश राज्य वहन करे खर्च, CMO गठित करें टीम

Rape पीड़िता को Unwanted pregnancy समाप्त करने की अनुमति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न और बलात्कार की शिकार नाबालिग लड़की को अनचाहा गर्भ (Unwanted pregnancy) समाप्त करने की अनुमति दे दी है और कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया और इससे जुड़े सभी खर्चों का वहन राज्य सरकार करेगी. जिलाधिकारी प्रयागराज को इस आशय का आदेश दिया है. साथ ही सीएम्ओ प्रयागराज को डाक्टरों का पैनल गठित कर अनचाहा गर्भ गर्भ (Unwanted pregnancy) हटाने का इंतजाम करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा पीड़िता व परिवार की इच्छा का सम्मान किया जाय.

यह आदेश जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने दिया है. दुष्कर्म पीड़िता कौशाम्बी की नाबालिग लड़की के  मामले में 8 जून, 2025 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पीड़िता के बरामद होने के बाद  पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराएं भी जोड़ी गईं. पीड़िता और उसके परिवार ने न्यायालय से चिकित्सकीय गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) की अनुमति मांगी थी.

न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 7 जुलाई, 2025 को प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. इस बोर्ड में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट और एक मनोचिकित्सक शामिल थे, जिन्होंने 9 जुलाई, 2025 को पीड़िता की जांच की.

Rape पीड़िता को Unwanted pregnancy समाप्त करने की अनुमति

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जांच की तारीख को भ्रूण गर्भ (Unwanted pregnancy) की गर्भावधि 28 सप्ताह 5 दिन थी. रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भावस्था को जारी रखने से याचिकाकर्ता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, बोर्ड ने यह भी बताया कि इस स्तर पर गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) बिना किसी जोखिम के नहीं किया जा सकता और इसमें जटिलताएं तथा सर्जिकल हस्तक्षेप की संभावना बढ़ सकती है. इसके बावजूद, बोर्ड ने पुष्टि की कि पीड़िता और उसके माता-पिता दोनों ने स्वेच्छा से गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) की प्रक्रिया के लिए सहमति दी है.

कोर्ट ने  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का भी हवाला देते हुए कहा कि गर्भधारण की आयु अधिक होने के कारण ही गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) से इनकार नहीं किया जा सकता. गर्भवती  गर्भ (Unwanted pregnancy) की प्रजनन स्वायत्तता, गरिमा और निजता के मौलिक अधिकार सर्वोपरि हैं. विशेष रूप से, बलात्कार के कारण हुई गर्भावस्था को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंचाना माना जाता है.

इन सभी बातों पर विचार करते हुए, न्यायालय ने पीड़िता और उसके माता-पिता के निर्णय का सम्मान करते हुए गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) की अनुमति दी. न्यायालय ने प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे विशेषज्ञों की एक टीम गठित करें और आदेश के तीन दिनों के भीतर गर्भपात गर्भ (Unwanted pregnancy) की प्रक्रिया पूरी करें. इसके साथ ही, जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज को भी इस प्रक्रिया में शामिल होने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि पीड़िता और उसके परिवार के सभी चिकित्सा और अन्य खर्च, जिसमें उनकी यात्रा और प्रयागराज में रहने का खर्च भी शामिल है, राज्य द्वारा वहन किया जाए.

इसे भी पढ़ें…

पाक्सो एक्ट में आरोपित नाबालिग को सशर्त जमानत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पाक्सो एक्ट के आरोपित अपराधी नाबालिग को सशर्त जमानत दे दी है. जस्टिस सिद्धार्थ की एकल पीठ ने किशोर न्याय बोर्ड फतेहपुर के 23 जनवरी 2025 के और बाल न्यायालय/अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अधिनियम, फतेहपुर द्वारा  12 मार्च 2025 के आदेशों को निरस्त किए जाने के लिए दायर पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर ली है.

कोर्ट ने कहा याची लंबे समय से जेल में बंद हैं और पिता ने कहा कि वह छूटने पर उसका ख्याल रखेगा. धारा 306 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत, थाना हुसैनगंज, जिला फतेहपुर में याची के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. कथित घटना की तिथि को उसकी आयु लगभग 15 वर्ष 14 दिन थी. वह 25 मई 2024 से बाल संरक्षण गृह में है. याची के वकील ने झूठा फंसाए जाने की बात कही. कहा कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और मुकदमे के शीघ्र समापन की कोई आशा नहीं है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *