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29 अध्यापक-कर्मचारियों को पेंशन के लिए राहत से इंकार, अपीलें खारिज

बीएचयू के एक कर्मचारी को पेंशन स्कीम की राहत अपील स्वीकार

29 अध्यापक-कर्मचारियों को पेंशन के लिए राहत से इंकार, अपीलें खारिज
जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के कर्मचारी अखौरी सुधीर कुमार सिन्हा को जीपीएफ स्कीम के तहत पेंशन योजना का लाभ पाने का हकदार माना किंतु अन्य 29 प्रोफेसर व स्टाफ को पेंशन योजना का लाभ देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने सिन्हा को निर्देश दिया है कि पेंशन स्कीम के लिए सीपीएफ स्कीम के लाभ 8 फीसदी ब्याज सहित दो माह में जमा करे. कोर्ट ने सिन्हा की अपील स्वीकार कर ली है और अन्य  29 लोगो की दोनों अपीलें खारिज कर दी है.

पेंशन स्कीम न होने का हवाला
यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की बेंच ने प्रो हरिश्चंद्र चौधरी व दो अन्य,व प्रो अजय कुमार सिंह व 25अन्य तथा अखौरी सुधीर कुमार सिन्हा की विशेष अपीलों पर दिया है. कोर्ट ने कहा 1 जनवरी 1986 को जीपीएफ स्कीम लागू हुई. सिन्हा की नियुक्ति 9 जुलाई 1990 को हुई. इस समय पेंशन स्कीम थी जिसे 2004 में समाप्त कर दिया गया. अन्य सभी 1986 से पहले नियुक्त हुए थे. तब पेंशन स्कीम नहीं थी. कोर्ट ने कहा सिन्हा को पेंशन लाभ न देना सही नहीं. एकलपीठ ने सभी की याचिका खारिज कर दी थी. जिसे अपीलों में चुनौती दी गई थी.

पेंशन स्कीम का विकल्प नहीं चुना था
सिन्हा को छोड़कर सभी को अंशदायी भविष्य निधि (CPF) योजना के तहत रखा गया था और वे 1 मई, 1987 के कार्यालय ज्ञापन के तहत पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प नहीं चुन पाए थे. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उन्हें भी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए, खासकर जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने 2013 में इसी तरह के मामले में ऐसा ही किया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 1 मई, 1987 के कार्यालय ज्ञापन के तहत CPF योजना में बने रहने का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों को ही उस योजना में रखा जाएगा. जो कर्मचारी ऐसा विकल्प नहीं चुनते हैं, वे पेंशन योजना के लाभ के हकदार होंगे.

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