कर्नल सोफिया कुरैशी को नजीर मानें, महिलाओं का मनोबल ना गिराएं
महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

कर्नल सोफिया कुरैशी को भी स्थायी कमीशन नहीं मिलने पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. कोर्ट से उन्हें राहत मिली और आपरेशन सिंदूर को लीड करके उन्होंने दिखा दिया है कि महिलाएं मनोबल के मामले में बिल्कुल कमजोर नहीं हैं. वह देश को गौरवान्वित कर रही हैं. इस केस का रिफरेंस देते हुए सुप्रीम कोर्ट में शार्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों की याचिका पर बहस हुई तो जजों ने कमेंट किया कि मौजूदा स्थिति में उनका मनोबल गिराने वाला कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों को सेवामुक्त न करे, जिन्होंने उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी है.
69 अफसरों ने दाखिल की है याचिका
69 अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि वे प्रतिभाशाली अफसर हैं! आप उनकी सेवाएं कहीं और ले सकते हैं! यह समय नहीं है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में भटकना पड़े! उनके पास देश की सेवा करने के लिए एक बेहतर जगह है! कोर्ट ने याचिका को अगली सुनवाई के लिए अगस्त में लिस्टेड करने के लिए कहा और कहा कि अगली सुनवाई तक उन्हें सेवा मुक्त नहीं किया जाना चाहिए! केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने की नीति पर आधारित एक प्रशासनिक निर्णय था!

दो महिलाओं ने दाखिल की थी याचिका
कर्नल गीता शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कर्नल सोफिया कुरैशी के मामले का उल्लेख किया, जो उन दो महिला अधिकारियों में से एक थीं जिन्होंने 7 और 8 मई को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी. गुरुस्वामी ने कहा कि कर्नल कुरैशी को स्थायी कमीशन से संबंधित इसी तरह की राहत के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. पीठ ने इस दलील पर ज्यादा टिप्पणी किए बगैर कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष मामला पूरी तरह कानूनी है, इसका अधिकारियों की उपलब्धियों से कोई लेना-देना नहीं है.
उपब्धियों को गिनाया
17 फरवरी, 2020 को कोर्ट ने कहा था कि सेना में स्टाफ नियुक्तियों को छोड़कर सभी पदों से महिलाओं को पूरी तरह बाहर रखा जाना अक्षम्य है और बिना किसी औचित्य के कमांड नियुक्तियों के लिए उन पर पूरी तरह से विचार न करना कानूनी रूप से सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों का भी उल्लेख किया तथा कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का उदाहरण भी दिया.