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साली के अपहरण व दुष्कर्म की कोशिश के आरोपी को BAIL

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साली का अपहरण करके दुष्कर्म की कोशिश के आरोपी थाना पडरी जिला मिर्जापुर के विकास कुमार बिंद की जमानत (BAIL) मंजूर कर ली है. जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि पीड़िता के बयानों में विरोधाभास, अपराध की प्रकृति,याची की अपराध में संलिप्तता के साक्ष्य व अधिवक्ता के तर्कों को देखते हुए याची जमानत (BAIL) पाने का हकदार है.

BAIL

बता दें कि आरोपित विकास अपने ही साली को बेचने के लिए बहला फुसलाकर सूरत ले गया और एक कमरे में बंद रखा. जैसे तैसे उसके चंगुल से भागने में सफल हुई ​नाबालिग किशोरी (साली) अपने घर पहुंची. इस मामले में मिर्जापुर जिले के पड़री थाने में मुकदमा अपराध संख्या 107/2024 धारा 363, 366, 376(3), 342, 504, 506 आईपीसी और धारा 3/4 (2) पोक्सो अधिनियम, 2012 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में आरोपित विकास जेल में बंद है. उसकी तरफ से जमानत (BAIL) के लिए याचिका पेश की गयी थी.

याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अश्वनी कुमार श्रीवास्तव ने आवेदक का पक्ष रखते हुए हुए विकास को निर्दोष बताया और कहा कि विकास को गलत इरादे से फंसाया गया है. पीड़िता (साली) ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत विपरीत बयान दिया है तथा विशेष रूप से कहा है कि धारा 161 सीआरपीसी के तहत बयान महिला पुलिस कांस्टेबल द्वारा सिखाए जाने के कारण दिया गया है. आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है तथा वह 16.03.2025 से जेल में बंद है.

यदि आवेदक को जमानत (BAIL) पर रिहा किया जाता है, तो वह उक्त स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा.मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, स्वयं सूचक द्वारा बयान दर्ज करते समय लगाए गए आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया गया है, अपराध की प्रकृति, साक्ष्य, अभियुक्त की मिलीभगत, पक्षों के विद्वान वकील के प्रस्तुतिकरण और मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, न्यायालय का विचार है कि आवेदक ने जमानत (BAIL) का मामला बनता है.

कोर्ट ने जमानत (BAIL) मंजूर करते हुए शर्त लगायी कि आवेदक परीक्षण के दौरान साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. आवेदक अभियोजन पक्ष के गवाह पर दबाव नहीं डालेगा. उसे डराएगा या धमकाएगा नहीं. आवेदक निर्धारित तिथि को परीक्षण न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा, जब तक कि व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट न दी जाए. आवेदक आवश्यकता पड़ने पर पुलिस अधिकारी द्वारा पूछताछ के लिए स्वयं को उपलब्ध कराएगा.

आवेदक उस अपराध के समान कोई अपराध नहीं करेगा जिसका उस पर आरोप है, या जिसका उस पर संदेह है. आवेदक मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं करेगा, जिससे वह न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों का खुलासा करने से विमुख हो जाए या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करे.

आवेदक न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ेगा. आवेदक यदि अपना आवासीय पता बदलता है, तो आवेदक को लिखित रूप में नए आवासीय पते के बारे में संबंधित न्यायालय को सूचित करना होगा. किसी भी शर्त के उल्लंघन की स्थिति में अभियोजन पक्ष को इस न्यायालय के समक्ष जमानत रद्द करने का आवेदन प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता होगी.

हत्या आरोपी दानिश की सशर्त जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या आरोपी की  जमानत (BAIL) अर्जी की सुनवाई करते हुए कहा है कि केवल ‘अंतिम बार साथ देखे गए’ के साक्ष्य और अपराध में इस्तेमाल होने वाली एक ईंट की बरामदगी के आधार पर किसी व्यक्ति को हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता, पुष्ट परिस्थितिजन्य साक्ष्य का होना जरूरी है.

जस्टिस समीर जैन की बेंच ने गौतम बुद्ध नगर में हुई हत्या के आरोपी दानिश उर्फ बकरा उर्फ दिलशाद की सशर्त जमानत (BAIL) मंजूर कर ली है. ट्रायल कोर्ट द्वारा 29 नवंबर, 2024 को उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. याची अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है. कहा कि ‘अंतिम बार देखे गए’ साक्ष्य देने वाले गवाहों के बयान विश्वसनीय नहीं हैं.

इसके अतिरिक्त, पुलिस द्वारा कथित तौर पर दानिश की निशानदेही पर बरामद की गई ईंट को भी झूठी और निराधार बताया. कहा कि केवल हत्या में कथित तौर पर प्रयुक्त ईंट की बरामदगी के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि दानिश ने मृतक की हत्या की है. यह भी बताया कि याची  का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है और वह पिछले 11 महीनों से अधिक समय से (2 जुलाई, 2024 से) जेल में बंद है.

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