चैम्बर में रचाई शादी, 2 lawyers are trapped
लखनऊ बेंच के निर्देश पर चैम्बर पर लगाया गया ताला

हाईकोर्ट परिसर में उस समय सनसनी फैल गई, जब एक महिला द्वारा दायर याचिका में यह खुलासा हुआ कि कोर्ट परिसर के भीतर वकीलों के चेंबर (lawyers are trapped) को विवाह स्थल में तब्दील कर जबरन उसकी शादी कराई गई. मामला हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पहुंचा और सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस गंभीर घटना पर कड़ा संज्ञान लेते हुए फौरन कार्रवाई के निर्देश दिए.
महिला की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया कि उसे कोर्ट परिसर के चेंबर में जबरन बुलाकर शादी के लिए मजबूर किया गया. आरोप है कि न केवल मानसिक रूप से उसे प्रताड़ित किया गया, बल्कि चेंबर को बाकायदा फूलों से सजाया गया और शादी का मंच भी बनाया गया था. पूरी योजना एक फिल्मी विवाह सीन की तरह थी, जहां न चाहते हुए भी उसे विवाह के लिए बाध्य किया गया.
महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वजीरगंज थाने की पुलिस को तत्काल जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया. आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने मौके का निरीक्षण किया और चौंकाने वाले साक्ष्य इकट्ठा किए.
पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि चेंबर संख्या G.O.-31 को फूलों से सजाया गया था, अंदर शादी का मंच बनाया गया था और माहौल पूरी तरह से विवाह समारोह की थीम पर आधारित था. पुलिस ने घटना से जुड़े वीडियो और तस्वीरें अदालत में प्रस्तुत कीं, जिससे आरोप की पुष्टि हुई.

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने चेंबर संख्या G.O.-31 को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट परिसर में अवैध कब्जा और गैरकानूनी गतिविधियों पर भी कड़ा संदेश दिया गया. अदालत ने कहा कि न्यायिक परिसर की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में दो अधिवक्ताओं (lawyers are trapped) की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए उन पर आपराधिक साजिश, बलपूर्वक विवाह कराने, और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसे संगीन आरोपों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए और महिला को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए.
चेंबर सील करने और मौके की जांच के लिए जब पुलिस पहुंची, तब कोर्ट परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. कोर्ट के आदेश के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए ताकि कोई बाधा न उत्पन्न हो और न्यायालय की कार्यवाही प्रभावित न हो.
पीड़िता ने अपनी याचिका में बताया कि कैसे उसे भरोसे में लेकर कोर्ट परिसर बुलाया गया और चेंबर के भीतर जबरन शादी करने का दबाव बनाया गया. उसने यह भी कहा कि अब उस पर शादी को मान्यता देने और साथ रहने का दबाव बनाया जा रहा है. उसने भावनात्मक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं.

घटना पर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने गहरी चिंता जताई है. एक बयान में काउंसिल ने कहा कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो संबंधित वकीलों (lawyers are trapped) की सदस्यता रद्द की जा सकती है. वकीलों से अपेक्षा की जाती है कि वे न्यायिक परिसर की गरिमा बनाए रखें और किसी भी तरह की अनैतिक या अवैध गतिविधि में शामिल न हों.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा कि न्यायिक परिसर में यदि कोई भी व्यक्ति या संस्था गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त पाई जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने पुलिस को यह भी निर्देशित किया कि भविष्य में ऐसे किसी भी प्रयास को रोकने के लिए निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जाए.