पुनर्विचार याचिका पर भी लागू होगा मियाद अधिनियम
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को भी अब प्रथम अपील या द्वितीय अपील की तरह स्वीकार किया जाएगा और इस पर मियाद अधिनियम भी लागू होगा. यानी तय समयसीमा के बाद पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विलम्ब माफी के लिए प्रार्थनापत्र देना होगा, जिस पर सुनवाई के बाद ही न्यायालय याचिका पर सुनवाई के संदर्भ में निर्णय लेगा.

हाईकोर्ट ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा है किसी रिट याचिका के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाती है, तो उसे भी फर्स्ट या सेकेंड अपील की तरह ही माना जाएगा, जिस पर परिसीमा अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे. आदेश में कहा गया है कि पुनर्विचार याचिका परिसीमा अधिनियम के अनुसार कालबाधित या मियाद बाहर दाखिल की गई है तो उसे रजिस्ट्री ऑफिस द्वारा डिफेक्टिव (त्रुटिपूर्ण) याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाएगा. इसके बाद देरी माफी के प्रार्थना पत्र पर पहले नोटिस जारी होगा और दूसरे पक्ष को सुना जाएगा.
पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाले को तभी सुनवाई का अधिकार मिलेगा, जब उसकी देरी माफी की अर्जी कोर्ट में स्वीकार हो जाएगी. हाईकोर्ट ने स्पष्ट है किया कि अब मियाद बाहर दाखिल पुनर्विचार याचिका को बिना देरी माफी प्रार्थना पत्र के सीधे नियमित याचिका के रूप में पंजीकृत करने की पुरानी प्रथा खत्म कर दी जाएगी.