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प्रयागराज में पुराने GGIC के पास demolition में सागरपेशा वालों को राहत, 24 जून को हुई थी नोटिस

नगर निगम ने हाईकोर्ट में मामले पर पुनर्विचार के लिए नोटिस वापस लेने को कहा

प्रयागराज में पुराने GGIC के पास demolition में सागरपेशा वालों को राहत, 24 जून को हुई थी नोटिस

सिविल लाइंस में महात्मा गांधी मार्ग व सरोजिनी नायडू मार्ग स्थित पुराने जीजीआईसी के पास सागर पेशा वालों को demolition मामले में राहत मिल गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में यहां के निवासियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान नगर निगम ने नोटिस वापस लेने का आश्वासन दिया, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी.

यह आदेश जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की बेंच ने माया यादव व 11 अन्य की याचिका पर उनके अधिवक्ता कमल कुमार सिंह एवं सुधीर कुमार मिश्र और नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी को सुनकर दिया. याचिका के अनुसार पुराने जीजीआईसी के पास रहने वाले याचियों को अतिक्रमण हटाए जाने (demolition) के लिए गत 24 जून को नगर निगम प्रयागराज के अधिकारी प्रभारी (नजूल) की ओर से नोटिस निर्गत कर उनके मकान पर नोटिस चस्पा किया गया था.

नोटिस के क्रम में 12 परिवारों ने यह याचिका दाखिल की. सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने मामले पर निगम द्वारा पुनर्विचार के लिए अनुमति मांगी और कहा कि नोटिस को वापस लिया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने नगर निगम को कानून के अनुसार मामले पर पुनर्विचार के लिए नए सिरे से आगे बढ़ने की छूट देते हुए याचिका निस्तारित कर दी.

जिला पंचायत के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपक्षी की भूमिधरी जमीन पर पशु बाजार लगाने की अनुमति वापस लेने के जिला पंचायत हाथरस के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी. यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की बेंच ने अनस सिद्दीकी की याचिका पर दिया है. विपक्षी अधिवक्ता वीके चंदेल ने याचिका का विरोध किया.

प्रयागराज में पुराने GGIC के पास demolition में सागरपेशा वालों को राहत, 24 जून को हुई थी नोटिस

याची अधिवक्ता का कहना था कि पिछले 50 साल से पशु बाजार लग रहा है. जिला पंचायत ने बाजार लगाने की अनुमति दी थी. विपक्षी की आपत्ति पर अनुमति निरस्त कर दी. ऐसा करने से पहले याची को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. चंदेल का कहना था प्लाट संख्या 1004 विपक्षी की भूमिधरी जमीन है. उससे पशु बाजार लगाने की अनुमति नहीं ली गई है. इसलिए जिला पंचायत का आदेश सही है.

मथुरा होली गेट से अतिक्रमण हटाने की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा होली गेट के आसपास से अतिक्रमण हटवाने (demolition) की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जबाव दाखिल करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी. यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मथुरा के समाजसेवी चूना कंकड़ गली निवासी प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

याची का कहना है कि मथुरा होली गेट के आसपास चारों ओर हुए अतिक्रमण के कारण आये दिन जाम लगा रहता है. फुटपाथ पर कब्जा कर लिया गया है और प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिका में प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग लखनऊ, जिलाधिकारी मथुरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मथुरा, महापौर नगर निगम मथुरा वृन्दावन एवं नगर आयुक्त नगर निगम मथुरा वृन्दावन को पक्षकार बनाया गया है.

सरकार द्वारा जारी शासनादेश में स्पष्ट निर्देश है कि अतिक्रमण हटाने (demolition) के बात पुलिस थाने में दर्ज किया जाएगा ताकि पुलिस निगरानी करें कि दुबारा अतिक्रमण न होने पाए. इसके लिए पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है. कोर्ट ने 28 मार्च को 3 सप्ताह में जबाव दाखिल करने का समय दिया था, सरकार की ओर से फिर जवाब के लिए समय मांगा गया.

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