Dy. CM Keshav Maurya को राहत, FIR की मांग खारिज, 25 मई को रिजर्व हुआ था फैसला
हाईकोर्ट ने कहा, याची पीड़ित या प्रभावित पक्ष नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के Dy. CM Keshav Maurya मौर्य के खिलाफ दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है. याचिका में Dy. CM Keshav Maurya पर फर्जी शैक्षिक दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़ने व पेट्रोल पंप प्राप्त करने और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता, दिवाकर नाथ त्रिपाठी, फर्जी डिग्री से न तो पीड़ित पक्ष हैं और न ही कथित अपराध से प्रभावित हैं. ऐसा लगता है कि याची ने किसी लाभ या बदला लेने के उद्देश्य से याचिका दाखिल की है. जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा कि याची पीड़ित व्यक्ति नहीं है इसलिए उसे याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है. जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने 25 मई को सुरक्षित किया गया आदेश सोमवार को सुनाया. यह निर्णय उपमुख्यमंत्री के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है.
Dy. CM Keshav Maurya ने पेश किये गलत हलफनामे
बता दें कि वर्ष 2021 में दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अर्जी दाखिल कर, Dy. CM Keshav Maurya के खिलाफ फर्जी डिग्री व धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग की. त्रिपाठी का आरोप था कि Dy. CM श्री मौर्य ने 2007, 2012 और 2014 के चुनावों में चुनाव आयोग के समक्ष अपनी शैक्षिक योग्यताओं के बारे में गलत हलफनामे प्रस्तुत किए थे.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि Keshav Maurya ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से पेट्रोल पंप हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. कहा कि मौर्य द्वारा हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद से प्राप्त ‘प्रथमा’, ‘मध्यमा’ और ‘उत्तर मध्यमा’ की डिग्रियाँ उत्तर प्रदेश सरकार, यूजीसी और एनसीटीई द्वारा क्रमशः हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक (बी.ए.) के बराबर मान्यता प्राप्त नहीं हैं. उन्होंने आरटीआई के हवाले से कहा कि हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, यू.पी. के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के बराबर मान्यता प्राप्त नहीं हैं.
ट्रायल कोर्ट ने 4 सितंबर, 2021 को त्रिपाठी की अर्जी खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की. शुरू में, यह याचिका 318 दिनों की देरी से दाखिल करने के कारण खारिज कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी, 2025 को हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को गुण-दोष के आधार पर तय करने का निर्देश दिया.
Dy. CM Keshav Maurya के खिलाफ आवेदन विचारणीय नहीं
राज्य सरकार व Dy. CM Keshav Maurya के वकीलों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का आवेदन विचारणीय नहीं है क्योंकि धोखाधड़ी या जालसाजी के अपराधों के लिए धोखाधड़ी के इरादे का अभाव है. कथित अपराधों की प्रकृति को देखते हुए, याचिकाकर्ता को जो एक तीसरा पक्ष है, को कोई सीधा, व्यक्तिगत या विशिष्ट हानि नहीं पहुंची है. उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव आयोग, प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार या इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन इस आपराधिक पुनरीक्षण में पक्षकार नहीं हैं.

कोर्ट ने अपने विश्लेषण में कहा कि याचिकाकर्ता के आरोप Dy. CM Keshav Maurya पर किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करते हैं. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि हिंदी साहित्य सम्मेलन की डिग्रियों की हाईस्कूल योग्यता के बराबर होने का प्रश्न एक प्रशासनिक या नियामक विवाद है जिसे शैक्षणिक अधिकारियों द्वारा हल किया जा सकता है, न कि आपराधिक धोखाधड़ी के आरोपों के माध्यम से.
न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के 4 सितंबर, 2021 के आदेश को सही ठहराया और कहा कि इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. इस फैसले के साथ, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में केवल वही पक्ष आपराधिक शिकायत दर्ज कर सकता है जो सीधे तौर पर पीड़ित हो.