पावर कारपोरेशन के Privatization कंपनी अधिनियम 2013 का उल्लंघन
इलाहाबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के स्वरूप में बदलाव व प्रस्तावित Privatization को चुनौती दी गई है. विजय प्रताप सिंह की जनहित याचिका में कहा गया है कि Privatization का निर्णय जनहित के खिलाफ है और निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं व संविधान के अनुच्छेद 247 का उल्लंघन है. ऐसे में प्रस्तावित Privatization को रद्द किया जाय.

याचिका में कहा गया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में हिस्सेदारी कम करने का पूरा प्रयास कंपनी अधिनियम 2013 और विद्युत अधिनियम 2003 का उल्लंघन है. कंपनी की संपत्ति के मूल्यांकन और उसके विनिवेश के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.
Privatization का तर्क, जो घाटे पर आधारित है, काल्पनिक है क्योंकि निम्न-आय वर्ग को दी गई सब्सिडी का पैसा डिस्कॉम को राज्य सरकार की ओर से वापस नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता ने यूपीपीसीएल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के खिलाफ कुप्रबंधन और “लालफीताशाही” का आरोप लगाया है. कहा गया है कि यूपीपीसीएल के अध्यक्ष आशीष कुमार गोयल के पास कोई तकनीकी डिग्री नहीं है, फिर भी वे बिजली के सबसे तकनीकी काम को संभालते हैं.
इसके अलावा पंकज कुमार (बीए फिलॉसफी), रूपेश कुमार (एमबीबीएस), राजकुमार (एमएससी जियोलॉजी), नील रतन कुमार (एमएससी), और नितिन निझावन (एम कॉम) जैसे अन्य निदेशकों के पास भी कोई तकनीकी डिग्री नहीं है. कहा कि विद्युत नियामक आयोग का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है.
Privatization के बाद उपभोक्ताओं को अधिक बिजली शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है. कोर्ट से मांग की गई है कि परमादेश जारी कर यूपीपीसीएल और पीवीवीएनएल का प्रबंधन पेशेवर तरीके से करने और कंपनी के बोर्ड में केवल तकनीकी योग्यता वाले व्यक्तियों को नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए.
मल्टीलेवल Parking में ही वाहन खड़े करें हाईकोर्ट अधिकारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक ने अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को हाईकोर्ट परिसर के आसपास की सड़कों पर अपने वाहन Parking करने से परहेज करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि केवल मल्टीलेवल कार Parking सुविधा के भीतर ही वाहन पार्क किया जाना चाहिए. और इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है.
सभी निबंधक, संयुक्त निबंधक,उप निबंधक, प्रधान निजी सचिव (प्रशासन), निबंधक सह प्रधान पीठ सचिव और निबंधक न्यायिक (कंप्यूटर) को उनके अधीन कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच इस निर्देश का नोटिस प्रसारित करने को भी कहा गया है.
मालूम हो कि हाईकोर्ट परिसर को आतंकी खतरे को देखते हुए दशकों पहले परिसर से सभी वाहन बाहर कर दिए गए थे. फलस्वरूप परिसर के आस-पास सड़क पटरियों पर वाहन पार्किंग को व्यवस्था की गई और न्यायालय प्रशासन द्वारा सरकार से पार्किंग व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया.
केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से पार्किंग व अधिवक्ता चेंबर की बहुमंजिली इमारत बनकर तैयार है. चेंबर आबंटन की प्रक्रिया जारी है. इसी बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भवन का लोकार्पण किया और तभी से वाहन Parking की समस्या का हल निकल आया है. Parking का पर्याप्त स्थान होने के बावजूद अभी भी अधिवक्ता व कर्मचारी परिसर के बाहर सड़क पटरी पर Parking कर रहे हैं. जिस पर महानिबंधक ने यह आदेश जारी किया है.