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Crime History छिपाकर जमानत मांगना न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग

गैंगस्टर के आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार

Crime History

Crime History को छिपाकर जमानत की गुहार लगाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने जैसा है. इस कमेंट के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर के आरोपी इमरान की तरफ से दाखिल जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अपने Crime History से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है जो न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है.

यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह ने दिया है. इमरान के खिलाफ गाजियाबाद के कोतवाली थाना में गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज है. याची अधिवक्ता, आशीष कुमार पांडे ने तर्क दिया कि इमरान का केवल तीन मामलों में Crime History है, जिनमें उसे पहले ही जमानत मिल चुकी है. इन तीनों मामलों के अलावा कोई अन्य क्राइम हिस्ट्री नहीं है और वह 21 अप्रैल, 2025 से जेल में है, इसलिए उसे जमानत मिलनी चाहिए.

अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि गैंग-चार्ट में बताए गए तीन मामलों के अतिरिक्त, इमरान के खिलाफ सात और आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिसे छिपाया गया है. इन मामलों में आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस एक्ट और आईपीसी की धाराएं 307, 386, 504, 392 और 411 शामिल हैं.

कोर्ट ने कहा याची स्वच्छ हृदय से अदालत नहीं आया है. उसने अपने Crime History की पूरी जानकारी नहीं दी. कहा कि जमानत पर विचार करते समय आरोपी के Crime History को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और आदतन अपराधियों के मामलों में जमानत देने के लिए अदालतों को विवेकपूर्ण तरीके से अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए.

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि अदालतों का काम न्याय प्रदान करना है, और जो व्यक्ति न्याय के लिए अदालत आता है उसे पूरी सच्चाई और बिना किसी तथ्य को छिपाए आना चाहिए. अक्सर बेईमान अभियुक्त अपने गलत इरादों को पूरा करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हैं, और ऐसे व्यक्ति जो भौतिक तथ्यों को छिपाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, वे राहत पाने के हकदार नहीं होते.

हिमांशी को अदालत में पेश करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए गौतमबुद्धनगर की हिमांशी को 15 जुलाई को पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश विपक्षियों तीन लगायत नौ को दिया है. साथ ही कहा है कि हिमांशी के कोर्ट में पेश होने के समय याची वाद खर्च के तौर पर उसे 15 हजार रुपए नकद भुगतान करेगा.

यह आदेश जस्टिस एमके गुप्ता और आरएमएन मिश्र की बेंच ने विजय की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता वी के चंदेल व मयंक कृष्ण सिंह चंदेल ने बहस की. याची का कहना था कि विपक्षियों ने हिमांशी को जबरन बंधक बना रखा है. इसलिए उसे तलब कर बयान दर्ज किया जाय और उचित आदेश पारित किया जाय. कोर्ट ने विपक्षियों को सीजेएम गौतमबुद्धनगर के मार्फत नोटिस भेजने का भी आदेश दिया है.

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