SARFAESI Act की धारा 14 के तहत loan recovery में आपराधिक बल के इस्तेमाल पर
HC सख्त, कहा: कानून को नकारने की बढ़ती प्रवृत्ति की अनदेखी नहीं की जा सकती

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने SARFAESI Act के तहत ऋण वसूली कार्रवाई में आपराधिक हमले को न्याय व निष्पक्षता उद्देश्य को विफल करने वाला अकल्पनीय नया तरीका करार दिया है और कहा है कि यह केवल शारीरिक हमले का मामला नहीं है बल्कि कानून व विधान पर हमले के समान है. यह कानून को दरकिनार करने का दुस्साहस है.
कोर्ट ने कहा कानून को नकारने की बढ़ती प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. कानून के शासन की रक्षा व न्याय हित में हम हस्तक्षेप करेंगे. कोर्ट ने एडीएम गाजियाबाद को निर्देश दिया है कि याची को सुनवाई का मौका देकर धारा 14 की अर्जी दो माह में नये सिरे से तय करें.
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की बेंच ने याची डीईबी बैंक लिमिटेड की याचिका पर यह आदेश दिया है. याची ने मकान संख्या चार, ब्लॉक एच, सेक्टर 02 और 03, त्यागी मार्केट, लोनी की सुरक्षित संपत्तियां तत्काल दिलाए जाने की मांग प्रतिभूतिकरण एवं वित्तीय संपत्तियों का पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम (SARFAESI Act), 2002 की धारा 14 के तहत की .
मुकदमे से जुड़े संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि याची बैंक ने लगभग 18 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया था. इसके लिए उधारकर्ता की सुरक्षित संपत्ति को समतुल्य बंधक बनाया गया था. उधारकर्ता जब ऋण चुकाने में विफल रहा तब बंधक संपत्ति को बैंक ने गैर-निष्पादित संपत्ति घोषित कर दिया. इसके बाद बैंक ने उधारकर्ता को धारा 13 के तहत नोटिस जारी किया और संपत्ति का कब्जा लेने की कार्यवाही शुरू कर दी. याची ने सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा पाने के लिए सरफेसी अधिनियम (SARFAESI Act) की धारा 14 के तहत आवेदन दायर किया जो स्वीकार कर लिया गया.

नीलामी कार्यवाही में सफल बोलीदाता के पक्ष में उसने बिक्री प्रमाणपत्र जारी किया. याची बैंक का आरोप है उधारकर्ताओं ने कथित तौर पर ताले तोड़ संपत्ति में अतिक्रमण कर लिया. पक्ष में संपत्ति पर कब्जा नहीं मिलने की दशा में अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण बैंक ने सरफेसी अधिनियम (SARFAESI Act) की धारा 14 के तहत आवेदन दायर किया, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि एक बार कब्ज़ा आदेश निष्पादित हो जाने के बाद नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता. तब याची बैंक ने हाईकोर्ट की शरण ली.
नासिक के एक मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए खंडपीठ ने कहा कि अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट याची को सुनवाई का अवसर दें तथा सरफेसी अधिनियम की धारा 14 के तहत नए आवेदन पर कानून के अनुरूप नया आदेश पारित करें. यह पूरी प्रक्रिया दो महीने की अवधि के भीतर पूरी की जानी चाहिए.