सीएमओ कानपुर के निलंबन आदेश पर रोक, सुनवाई 18 अगस्त को
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएम्ओ कानपुर नगर के निलंबन आदेश 9 जून 25 पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व विपक्षी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी.

यह आदेश जस्टिस मनीष माथुर की एकलपीठ ने डा हरिदत्त नेमी की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि विपक्षी ने याची के विरूद्ध विभागीय बिना जांच बैठाये, छोटे अपराध के आरोप में निलंबित कर विपक्षी संख्या तीन को सीएम्ओ बना दिया.
कोर्ट ने कहा आदेश से ही स्पष्ट है कि निलंबित करते समय कोई जांच कार्यवाही नहीं की गई. आरोप ऐसा ही कि बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता.ऐसे में उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन व अपील) नियमावली के तहत निलंबित नहीं किया जा सकता. इससे पहले याची को कारण बताओ नोटिस दी गई थी. उसने जवाब भी दिया था. किंतु इसपर विचार किए बगैर निलंबित कर दिया गया. जिसे चुनौती दी गई है.
याची का कहना है कि विपक्षी तीन की दुर्भावना इसी से साफ है कि विपक्षी की सीएम्ओ पद पर तैनाती करने के बाद याची को निलंबित किया गया है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
श्रम अदालत कानपुर के पीठासीन अधिकारी को नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रम अदालत कानपुर नगर के पीठासीन अधिकारी रामसिंह गौतम को अवमानना नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि आदेश की अवहेलना के लिए क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाय. याचिका की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी.
यह आदेश जस्टिस नीरज तिवारी ने राम मनोहर लोहिया परिवहन निगम की कार्यशाला कार्यरत अनिल कुमार की अवमानना याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की. इनका कहना है कि याची की नियुक्ति 1984 में वर्क मैन के रुप में की गई. कुछ साल बाद मुख्य प्रबंधक ने बिना कारण बताए सेवा समाप्त कर दी.
जिसे श्रम अदालत कानपुर में चुनौती दी गई है. बकाया वेतन व सेवा बहाली की मांग की गई है. हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मुकद्दमे का शीघ्र निराकरण करने की मांग की गई. कोर्ट ने दो माह में केस निस्तारित करने का आदेश दिया. किंतु इसका पालन नहीं किया गया तो पीठासीन अधिकारी के खिलाफ यह अवमानना याचिका दायर की गई है.